शिक्षा का जज्बा...*

*शिक्षा का जज्बा...*

*रोज 8 किमी दूर स्कूल पहुंचते हैं 32 बच्चे, इनमें 12 लड़कियां, इकलौती लेबर बस भी न मिले तो पैदल सफर*

उदयपुर

चुनावी में साल में सरकार अपने स्कूल मांगे-बिना मांगे प्रमोट करने के साथ इंग्लिश मीडियम में बदल रही है। दूसरी ओर जिले में आड़ गांव के बच्चे हौसले से शिक्षा की मशाल थामे हैं। ये बच्चे 5वीं के बाद की पढ़ाई जारी रखने के लिए रोज करीब 8 किलोमीटर दूर अलसीगढ़ के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पहुंचते हैं। हर मौसम में इनका 16 किमी आना-जाना कभी रूट की खस्ताहाल बस से तो कभी इसके नहीं मिलने पर पैदल होता है। पता चलते ही दैनिक भास्कर ने आड़ का रुख किया। सामने आया कि शहर से 30 किलोमीटर दूर अलसीगढ़ से करीब 8 किमी आगे आड़ के कक्षा 6 से 12 के 32 बच्चे पढ़ाई के लिए रोज ढेरों परेशानियों से जूझ रहे हैं। इनमें 12 छात्राएं हैं। पिछले साल आड़ से 24 बच्चे पांचवीं में थे। पास होने के बाद सबको अलसीगढ़ स्कूल में प्रवेश लेना पड़ा, क्योंकि यही सबसे करीबी विकल्प है। शेष 8 बच्चे सातवीं से 12वीं में पढ़ते हैं।

आड़ स्कूल करीब 25 साल पुराना है। वहां आवाजाही के लिए रूट पर एक ही बस है। यह बस मजदूरों को लाती और ले जाती है। स्कूली बच्चों के लिए भी यही इकलौता सहारा है। पूर्व सरपंच धर्मचंद्र मीणा ने बताया कि यहां मूल गांव पोपल्टी है। इसकी दूरी भी करीब 6 किमी ही है, लेकिन बीच में नाला होने से बच्चे वहां दाखिला नहीं लेकर अलसीगढ़ ही जाते हैं। एकमात्र बस भी बंद हो जाए तो लोगों को निजी साधनों से जाना-आना पड़ता है। कुछ समय पहले एक जीप वाले से बात की थी, लेकिन उसने प्रति बच्चे एक माह के 1 हजार रुपए मांगे। यह ग्रामीणों के बूते से बाहर था, इसलिए बात नहीं बनी। ग्रामीणों ने बताया कि हर बार विधायक से लेकर कलेक्टर तक समस्या बताई। हर बार यही जवाब मिला कि इस बार आड़ स्कूल को आठवीं तक क्रमोन्नत का प्रस्ताव भेजा है। 10 साल से यही हाल है।

*कभी-कभी रोना आ जाता है : दीतली*

मैं 5 साल से अलसीगढ़ में पढ़ रही हूं। रास्ते में डर लगता है और रोना भी आ जाता है, लेकिन क्या करें, पढ़ाई के लिए सब सहना पड़ेगा। -दीतली मीणा, छात्रा, राउमावि, अलसीगढ़

*कई बच्चे तो पढ़ाई छोड़ चुके : प्यारी*

रात को हम पढ़ाई तक नहीं कर पाते, क्योंकि पैदल आने से थक जाते हैं। बिजली भी नहीं रहती। कई बच्चे इन्हीं परेशानियों के चलते पढ़ाई तक छोड़ चुके। हम पढ़ना चाहते हैं। -प्यारी कुमारी, छात्रा, राउमावि, अलसीगढ़

*बच्चे परेशान हैं, एक समय तो पैदल चलना ही पड़ता है : प्रिंसिपल*

बच्चों की वाकई परेशानी है। करीब 32 विद्यार्थी आड़ गांव से आते है। साधनों की कमी और अधिक दूरी के कारण इन बच्चों को एक समय पैदल ही जाना पड़ता है। हमने इस समस्या से विभाग को भी अवगत कराया हैं।-जीवनलाल मेघवाल, प्रिंसिपल राउमावि अलसीगढ़


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